
उपवास क्या है? उपवास के मुख्य प्रकार
उपवास केवल भूखे रहने का नाम नहीं, यह एक वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और नैतिक प्रक्रिया है। भारतीय चिकित्सा परंपरा, विशेष रूप से प्राकृतिक चिकित्सा में उपवास को शरीर की भीतरी सफाई, ऊर्जा संरक्षण और रोग निवारण का अत्यंत प्रभावशाली माध्यम माना गया है। उपवास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है, बल्कि मानसिक स्थिरता और आत्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करता है।
आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि उपवास से शरीर में जमा हुए विषैले तत्व (toxins) बाहर निकलते हैं, पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है, और शरीर अपने आप को पुनर्निर्मित करता है। आइए जानते हैं उपवास के विभिन्न प्रकार, उनके लाभ और प्रयोग की विधि:
1. प्रात: कालिक उपवास
यह उपवास सुबह के समय किया जाता है। व्यक्ति सूर्योदय से दोपहर तक केवल नींबू जल, सादा जल, फलों का रस या फल ही लेता है। यह शरीर को दिन भर ऊर्जावान बनाए रखने में सहायक है और पाचन क्रिया को भी सुधारता है।
2. सांयकालिक उपवास
इसमें व्यक्ति शाम को भोजन नहीं करता। केवल पानी, फल या हल्के तरल पदार्थ लिए जाते हैं। यह उपवास रात में पाचन क्रिया को विश्राम देता है, जिससे शरीर की मरम्मत प्रक्रिया (healing) बेहतर होती है।
3. एकोहारोपवास
दिन में केवल एक बार सीमित मात्रा में भोजन करना, और बाकी समय उपवास रखना। यह वजन नियंत्रण, ब्लड शुगर संतुलन और पाचन के लिए उपयुक्त है।
4. रसोपवास
इसमें व्यक्ति केवल ताजे फलों या सब्जियों के रस लेता है। यह शरीर के अंदर गहरी सफाई करता है और जरूरी पोषक तत्व भी देता है।
5. फलोंपवास
पूरे दिन केवल मौसमी फल खाए जाते हैं। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, साथ ही यह पाचन पर अत्यधिक भार नहीं डालता।
6. दुग्धोंपवास
इसमें केवल गाय का दूध और पानी लिया जाता है। यह उपवास दुर्बल और कमजोर व्यक्तियों के लिए विशेष लाभकारी होता है।
7. मठोंपवास
इसमें व्यक्ति केवल मठा (छाछ) और पानी लेता है। यह शरीर को ठंडक देता है और पाचन को भी सहारा देता है।
8. पूर्णोपवास
इस उपवास में कोई भी खाद्य या पेय पदार्थ, यहाँ तक कि पानी भी नहीं लिया जाता। यह अत्यंत सावधानीपूर्वक और सीमित समय के लिए ही किया जाना चाहिए।
9. साप्ताहिक उपवास
प्रत्येक सप्ताह एक दिन उपवास करना, जैसे सोमवार, गुरुवार या एकादशी। यह नियमित रूप से शरीर की सफाई और मानसिक शांति के लिए बहुत प्रभावी है।
10. लघु उपवास
यह 12 से 24 घंटे तक का उपवास होता है। इसमें हल्का पेय या फल लिया जा सकता है। यह शुरुआती लोगों के लिए उत्तम विकल्प है।
11. कड़ा उपवास
इसमें कोई अन्न, जल या पेय नहीं लिया जाता। यह कठोर तपस्वियों या विशेष योगिक साधना के लिए किया जाता है। यह अत्यधिक अनुशासन की मांग करता है।
12. टूट उपवास
जब दीर्घ या कठोर उपवास को समाप्त किया जाता है, तो धीरे-धीरे फल, रस और सुपाच्य आहार से शुरुआत की जाती है। यह चरण अत्यंत संवेदनशील होता है।
13. दीर्घ उपवास
यह उपवास 3, 5, 7 या उससे अधिक दिनों तक किया जाता है। इसमें शरीर की गहरी सफाई और रोग निवारण होता है। लेकिन इसे प्रशिक्षित मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
उपवास के लाभ:
- शरीर की प्राकृतिक सफाई (Detox)
- पाचन प्रणाली को विश्राम
- मानसिक स्पष्टता एवं ध्यान की शक्ति में वृद्धि
- वजन नियंत्रण और मोटापे में लाभ
- ऊर्जा स्तर में सुधार
- आत्मिक जागरण और साधना में सहायक
निष्कर्ष: उपवास एक अत्यंत प्रभावी साधन है जो केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक संतुलन भी लाता है। यदि इसे नियमपूर्वक और ज्ञानपूर्वक अपनाया जाए, तो यह जीवन को संपूर्ण रूप से रूपांतरित कर सकता है।
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